स्वाथ्य

कोरोना टीकाकरण में भी फर्जीवाड़ा, अब ओटीपी किया अनिवार्य,


नई दिल्ली। तीसरे चरण में केंद्र, राज्य और निजी क्षेत्र के लिए टीकाकरण खोले जाने और उनमें अलग-अलग कीमतों के बाद नया फर्जीवाड़ा शुरू हो गया है। इसके तहत ऑनलाइन पंजीकरण कराने के बाद वैक्सीनेशन सेंटर पर नहीं पहुंचने के बावजूद टीका लगा हुआ दिखाया जा रहा है। इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए नेशनल हेल्थ अथारिटी ने ऑनलाइन पंजीकरण कराने वालों की सत्यता सुनिश्चित करने के लिए ओटीपी को अनिवार्य बना दिया है। शनिवार से आनलाइन पंजीकरण कराने वालों को उनके मोबाइल पर चार अंकों का ओटीपी भी आएगा।
लोगों को वैक्सीन की पहली डोज मिलने का मैसेज मिला, जो वैक्सीन लेने गए ही नहीं थे
टीका लगाए बिना ही कोविन प्लेटफार्म पर लगा हुआ दिखाया जाता था।
आशंका इस बात की है कि केंद्र सरकार की ओर भेजी जा रही मुफ्त की वैक्सीन को कहीं निजी टीकाकरण केंद्रों को तो नहीं बेचा जा रहा। केंद्र सरकार हेल्थ केयर फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 पार के लोगों के लिए राज्यों को मुफ्त में वैक्सीन दे रही तीसरे चरण में केंद्र, राज्य और निजी क्षेत्र के लिए टीकाकरण खोले जाने और उनमें अलग-अलग कीमतों के बाद नया फर्जीवाड़ा शुरू हो गया है। इसके तहत ऑनलाइन पंजीकरण कराने के बाद वैक्सीनेशन सेंटर पर नहीं पहुंचने के बावजूद टीका लगा हुआ दिखाया जा रहा है। इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए नेशनल हेल्थ अथारिटी ने ऑनलाइन पंजीकरण कराने वालों की सत्यता सुनिश्चित करने के लिए ओटीपी को अनिवार्य बना दिया है। शनिवार से आनलाइन पंजीकरण कराने वालों को उनके मोबाइल पर चार अंकों का ओटीपी भी आएगा।
लोगों को वैक्सीन की पहली डोज मिलने का मैसेज मिला, जो वैक्सीन लेने गए ही नहीं थे
टीकाकरण के पंजीकरण और सर्टिफिकेट जारी करने वाले कोविन प्लेटफार्म की जिम्मेदारी संभाल रहे नेशनल हेल्थ अथारिटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले एक हफ्ते में कई ऐसे लोगों को वैक्सीन की पहली डोज मिलने का मैसेज मिला, जो वैक्सीन लेने गए ही नहीं थे। जब इसकी जांच की गई, तो पाया गया कि कुछ लोगों को ऑनलाइन पंजीकरण के बाद वैक्सीनेशन सेंटर समेत तारीख और समय भी दिया गया था, लेकिन वे किसी कारणवश वैक्सीन लेने नहीं जा पाए थे। इसके बावजूद निजी वैक्सीनेशन सेंटर ने कोविन प्लेटफार्म पर यह दिखा दिया कि उन्हें टीका लगा दिया गया है।
फर्जीवाड़ा रोकने के लिए ओटीपी जरूरी
गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद नेशनल हेल्थ अथारिटी ने इसे रोकने के लिए ओटीपी को जरूरी बना दिया है। अब ऑनलाइन पंजीकरण कराने वाले व्यक्ति के मोबाइल पर एक ओटीपी आएगा। वैक्सीन लगने के बाद वैक्सीनेशन सेंटर को यह ओटीपी बताना होगा। ओटीपी डालने के बाद ही कोविन प्लेटफार्म से उसे वैक्सीन लेने का सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। वैसे नेशनल हेल्थ अथारिटी ने यह नहीं साफ किया कि बिना वैक्सीन लगे ही किसी व्यक्ति को वैक्सीन लगा हुआ दिखाने के बाद बची हुई वैक्सीन का क्या किया जा रहा था। यदि वे यह वैक्सीन किसी दूसरे व्यक्ति तो लगाते थे, तो उसकी जानकारी कोविन पोर्टल पर अपलोड करते थे या नहीं।अथारिटी ने यह भी साफ नहीं किया कि इस तरह से कितने लोगों को फर्जी तरीके से वैक्सीन लगा हुआ दिखाया गया है।
मुफ्त की वैक्सीन को कहीं निजी टीकाकरण केंद्रों को तो नहीं बेचा जा रहा
आशंका इस बात की है कि केंद्र सरकार की ओर भेजी जा रही मुफ्त की वैक्सीन को कहीं निजी टीकाकरण केंद्रों को तो नहीं बेचा जा रहा। केंद्र सरकार हेल्थ केयर, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए राज्यों को मुफ्त में वैक्सीन दे रही है। वहीं राज्यों को 18 से 44 साल के लोगों के लिए प्रति डोज कोविशील्ड 300 रुपये और कोवैक्सीन 400 रुपये में मिल रही है। कई राज्य सरकारों ने अपने टीकाकरण केंद्रों पर मुफ्त टीकाकरण का एलान किया है। निजी क्षेत्र को कोविशील्ड 600 रुपये और कोवैक्सीन 1200 रुपये प्रति डोज मिल रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button